प्रतिनिधी :मिलन शहा
जनगणना में देरी से 14 करोड़ भारतीयों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित किया गया: सोनिया गांधी
खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, यह एक मौलिक अधिकार है: संसद में सोनिया गांधी
नई दिल्ली :वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीमती सोनिया गांधी ने आज संसद में जनगणना में हो रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इसे लाखों भारतीयों की खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताया। उन्होंने सरकार से जनगणना प्रक्रिया में तेज़ी लाने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफ़एसए) के तहत सभी पात्र नागरिकों के अधिकार सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
संसद को संबोधित करते हुए, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने ज़ोर देकर कहा कि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लागू किया गया एनएफ़एसए एक ऐतिहासिक कानून है, जो 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्रदान करता है। यह अधिनियम खासतौर पर कोविड-19 संकट के दौरान लाखों ग़रीब परिवारों के लिए जीवनरक्षक साबित हुआ। हालांकि, उन्होंने बताया कि वर्तमान में लाभार्थियों का कोटा अभी भी 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया जा रहा है, जो अब प्रासंगिक नहीं है। इससे लगभग 14 करोड़ पात्र भारतीय अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
जनगणना न कराने के लिए केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, दशकीय जनगणना चार वर्षों से अधिक समय से विलंबित है। सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह कब कराई जाएगी, और बजट आवंटन दर्शाते हैं कि यह इस वर्ष भी नहीं होने जा रही है।”
श्रीमती गांधी ने इस विलंब को ग़रीब और वंचित परिवारों के लिए गंभीर संकट करार दिया और सरकार से आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द जनगणना पूरी करे, ताकि हर योग्य नागरिक को एनएफ़एसए के तहत उचित लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा, “खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार है,” उन्होंने जोर देकर कहा और सरकार से आग्रह किया कि वह तुरंत इस मामले पर कार्रवाई करे ताकि देश के सबसे जरूरतमंद लोगों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।