किरीट और नील सोमय्या पर आय एन एस विक्रांत के फंड मे गडबडी का केस दर्ज…

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प्रतिनिधी:मिलन शाह

शिवसेना x भाजप संघर्ष तेज मीडिया से लेकर रास्ते तक लढाई दिन ब दिन तेज होती नजर आरही है।

महाराष्ट्र राज्य की महा विकास आघाडी सरकार के खिलाफ आरोपो की बरसात करने वाले भाजप के नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमय्या और उनके बेटे नील सोमय्या के खिलाफ मुंबई पुलीस ने आयएनएस विक्रांत के फंड मे गडबडी के आरोप मे केस दर्ज किया है।उनपर आरोप है की उनहोने विमान वाहक युद्ध पोत को बचाने के लिये इकठ्ठा किये गये 57 करोड से भी अधिक फंड मे गडबडी के आरोप मे केसदर्ज हुआ है।

सुत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक ट्रोम्बे पुलीस थाने मे बुधवार शाम को पूर्व सैनिक ने शिकायत की ऊस आधार पर बाप और बेटा किरीट और नील सोमय्या पर केस दर्ज हुआ है।
आयएनएस विक्रांत युद्ध पोत ने 1971 के भारत पाक युद्ध मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।जीसकी बदौलत पाकिस्तानी नौसैनिक की नाकाबंदी हुयी थी।1997 को आयएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना के बेडे से हटा दिया था।और जनवरी 2014 को ऑनलाईन बोली लागाकर इसकी निलामी हूयी। शिकायत करता का आरोप है की भाजप के नेता किरीट सोमय्या ने आयएनएस विक्रांत को बचाने के लिये धन जूटाया था।और इस लिये शिकायत करता ने भी किरीट सोमय्या को चंदा दिया था।और 57 करोड से भी अधिक धन जमा कर उस्को राज्यपाल के कार्यालय मे जमा नही किया बलकी धन का दुरुपयोग किया ऐसा आरोप लगा है।

शिकायतकर्ता ने कहा कि किरीट सोमैया ने आईएनएस विक्रांत के लिए धन जुटाने के लिए एक अभियान शुरू किया । उन्होंने कहा कि उन्होंने जहाज को बचाने के लिए किरीट सोमैया को चंदा दिया था और भाजपा नेता ने इसके लिए 57 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की थी. हालांकि, उन्होंने राशि को महाराष्ट्र के राज्यपाल के सचिव कार्यालय में जमा करने के बजाय, धन का दुरुपयोग किया। ऐसा आरोप किये है।किरीट और नील सोमय्या पर दर्ज केस मे IPC की धारा 406 ,420,34 के तहत केस दर्ज हुआ है।(अपराधिक विश्वास घाट,धोकाधडी, सामान्य इरादा) यह तांत्रिक रूप से कानुनी कारवाई हुयी है अब देखना यह है की जीस तरह से शिवसेना भाजप ने 30 वर्षो तक एकदुसरे का हात पकडकर सत्ता तक का सफर राज्य और केंद्र तक तय किया। 2019 से शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव बालासाहेब ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह 30 साल से भी अधिक पुराने रिशते खटटे हुये। और अब नौबत यहा तक आ पहूंची की दोनो ही पक्ष एकदुसरे पर निचले थर की भाषा का प्रयोग कर नीचा दिखाने कि कोशिश कररहे है। एक समय भाजप ने शिवसेना कि उंगली पकडकर महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली की सत्ता पायी अब दोनो ही तरफसे संघर्ष की भूमिका अपनाने से एक समय के कट्टर दोस्त अब दुशमन बन गये है। कोई भी मौका हो दोनो ही ओरसे तेज गेंदबाजी और बॉउन्सर लगातार डाले जा रहे है। और यह लढाई यहा थमती नजर नही आरही ।कम से कम जब तक मुंबई महानगरपालिका के चुनाव नही हो जाते तब तक मीडिया और रास्ते पर यह संघर्ष और तीव्र होता दिखरहा है।


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