न्यूज़ स्टैंड18 डेस्क
मुंबई। मुंबई महानगर पालिका कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अभी से जंबो तैयारियों में जुट गया है। इसके लिए सभी अस्पतालों में बच्चों के लिए कम से कम 50 बिस्तर उपलब्ध कराए जाएंगे।
मनपा इन अस्पतालों को एक साल से अधिक समय तक चलने के लिए डिजाइन कर रही है, जिसमें चार नए जंबो अस्पताल कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए बनाए जा रहे हैं।
मनपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुशार इन सभी अस्पतालों में बच्चों के लिए कम से कम 50 बेड उपलब्ध कराए जाएंगे और 250 बेड आवश्यकतानुसार बनाए जा सकेंगे।
हालांकि मुंबई में कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, लेकिन तीसरी लहर से निपटने के लिए जंबो अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने का काम मनपा ने अपने हाथ में लिया है। इस समय आठ जंबो कोरोना अस्पतालों में 10,830 बेड हैं। इसमें इंटेंसिव केयर यूनिट में 872 बेड और वेंटिलेटर के लिए 574 बेड हैं। इन जंबो अस्पतालों की स्थापना करीब छह महीने की अवधि को ध्यान में रखकर की गई थी। हाल के दो चक्रवातों के बाद सभी आठ जंबो कोरोना अस्पतालों में सुदृढीकरण का काम चल रहा है। इनमें बीकेसी, नेस्को फेज वन एंड टू, दहिसर, नेस्को, डोम, मुलुंड और सेवन हिल्स शामिल हैं।
मालाड, कांजुरमार्ग, सायन और महालक्ष्मी में नए जंबो अस्पताल स्थापित किए जा रहे हैं, जहां 70 फीसदी ऑक्सीजन बेड और 10 फीसदी बेड गहन चिकित्सा इकाइयों के लिए आरक्षित होंगे।
विशेषज्ञों की इस धारणा को देखते हुए कि तीसरी लहर में बच्चों की संख्या बढ़ेगी, मनपा मुंबई के 24 विभागों में बाल रोग विशेषज्ञों और अन्य डॉक्टरों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। मुंबई में सभी संबंधित डॉक्टरों को एक्शन टीम फॉर चिल्ड्रन द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों और उपचार के बारे में सूचित किया जाएगा। बाल रोग विशेषज्ञों के साथ ही विभाग के संबंधित अधिकारियों की विभागवार बैठक शुरू हो गई है। हाल ही में ऑक्सीजन की समस्या पैदा हो गई थी। उस समय रोजाना 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत होती थी, लेकिन अब मरीजों की संख्या कम हो गई है और 130 मीट्रिक टन से भी कम ऑक्सीजन की जरूरत है। इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि कहीं ऑक्सीजन की कमी न हो।
ऑक्सीजन का कितना और कैसे इस्तेमाल करें और इसे बर्बाद न करने का ध्यान कैसे रखें, इस पर भी मार्गदर्शन दिया गया है।