
प्रतिनिधी:वैशाली महाडिक
राशन हमारे हक का नही किसीं के बाप का
मुंबई के बांद्रा पूर्व मे राशन की समस्या पर जागतिक ग्राहक दिन के उपलक्ष मे जनसूनवायी का आयोजन सामाजिक संस्था एमपीजे ने किया था उस्को जनता का भारी समर्थन प्राप्त हुआ।
मुंबई: वैश्विक महामारी कोविड -19 के बाद बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में तक़रीबन 80% लोगों को खाद्यान्न की आवश्यकता है. आज लोग खाद्यान्न संकट से जूझ रहे हैं और बड़ी आबादी भुखमरी का शिकार हैं. हालाँकि देश में खाद्य सुरक्षा क़ानून लागू है, जो सभी ज़रूरतमंदों को खाद्यान्न की गॅरंटी देता है. खाद्य सुरक्षा क़ानून कहता है कि देश में कोई भी भूखा नहीं सोएगा. लेकिन आज ज़मीनी हकीकत इस्के विपरीत है. बहुत सारे लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित हैं और बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें आंशिक खाद्य सुरक्षा ही प्राप्त है. महाराष्ट्र कोई अपवाद नहीं है. प्रदेश में आज भी बड़ी संख्या में लोग राशन से वंचित हैं. इस बात का खुलासा आज यहाँ प्रदेश की जानी मानी जन आन्दोलन मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे) द्वारा आयोजित राशन की समस्या पर एक जन सुनवाई में हुआ.

संगठन के मुंबई ज़िला अध्यक्ष रमेश कदम ने कहा कि, समस्या गंभीर है. आम लोग तो अपनी राशन सम्बन्धी समस्याओं की सरकार द्वारा बनाई गई तक्रार निवारण प्रणाली के तहत शिकायत करने से भी डरते हैं ।उन्हें राशन कार्ड कैंसिल कर दिए जाने की धमकी दी जाती है. इस जन सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में लोगों ने अपनी राशन सम्बन्धी समस्याओं को बयान किया. आप को बता दें कि, एमपीजे विगत कई वर्षों से लोगों के खाद्य सुरक्षा के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।
जन सुनवाई में खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग, महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने भाग लिया. जूरी में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के प्राध्यापक, महेश कांबले, चेम्बूर के राशन अधिकारी नाग नाथ हंगगारगे, खेड़वाड़ी के सहायक राशन अधिकारी शिवाजी तोड़कर, मुंबई उच्च न्यायालय की वकील सुश्री मणि, वरिष्ठ पत्रकार निसार अली सैयद, सामाजिक कार्यकर्ता माणिक प्रभावती, पत्रकार संजय जाधव, एमपीजे उपाध्यक्ष मुहम्मद अनीस और सामाजिक कार्यकर्ता शब्बीर देशमुख थे।
एक वरिष्ठ नागरिक ने अपनी शिकायत में कहा कि मैं निःसंतान हूं और मैं या मेरी पत्नी राशन लेने के लिए दुकान पर जाने लायक़ नहीं हैं। उनकी समस्या पर प्रा महेश कांबले ने कहा कि आपको घर पर ही राशन मिलना चाहिए। आप के मामले में क़ानून में घर पर राशन पहुंचाने का प्रावधान किया गया है. अनेक लोगों ने राशन से वंचित कर दिए जाने की शिकायत की, जिसमें एक दिव्यांग भी थे. ज्यादातर शिकायतें राशन से वंचित कर दिए जाने, राशन लेने के बाद दुकानदारों द्वारा रसीद नहीं दिए जाने, घटिया किस्म का अनाज देने और कोटे से कम अनाज देने की थी. राशन अधिकारियों ने जनता की शिकायतों को सुना और इन शिकायतों पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाने के साथ ही उपभोक्ताओं का मार्गदर्शन भी किया.