पवार साहेब के घर हमला कर क्या हासील हुआ????

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SMS:संपादकीय

5महिने अपना घर भार छोड अपनी मांगो के लिये अडे रहने वाले कर्मचारियो को किसने सारी मांगे लगबग पुरी होने पर भी विलानीकरन की जिद्द पर अपना सर्वस्व दाव पर लगाने के लिये उकसाया??और क्यो?क्या कर्मचारियो की जान पर राजनीती चमकाने का यह भयंकर खेल खेलने वालो पर क्या होगी कारवाई??

भविष्य मे आंदोलन कर्ता क्या इस घटना से बोध लेंगे?

मुंबई,महाराष्ट्र के जाणता राजा और महाविकासआघाडी के प्रणेता राष्ट्रवादी काँग्रेस के सर्वेसर्वा या कहे जिनके पास सभी राजनैतिक समस्या से निपटने का जिनके पास 50 सालो का तगडा और लंबा अनुभव है ऐसे नेता शरद पवार या उनके विरोधीयो मे भी प्रसिद्ध है और जीनका आदर सभी राजनैतिक पक्षके नेता और कार्यकर्ता करते हो उनके घर पर अचानक MSRTC के हडताली कर्मचारी अचानक उनके घर पर हमला करते है?यह समझ से परे है। इस्के कारण क्या हो सकते है?एक दिन पहले जो वकील इन कर्मचारियो की कथित लढाई के नाम पर अपनी नेता गिरी चमकाने की पूर जोर कोशिश कररहा था वह गुलाल लगाकर हाय कोर्ट का फैसला किस तरह उनके पक्ष मे है यह जताते हुये कर्मचारियो को गुमराह कररहा था। और हाय कोर्ट के निर्णय को अपनी और कामगारो की बडी जीत बता रहा था। या कहे अपनी पोल खुलते ही उस्को छिपाने के लिये और सभी का लक्ष अपनी ओरसे हटाने के लिये किया गया कृत्य तो नही?इसकी पुरी जांच मुंबई पुलीस करेगी ऐसी उम्मीद है।महाविकास आघाडी सरकार ने बडे संयम और धैर्य से MSRTC कर्मचारियो की मांग पुरी करनेकी कोशिश की पर कर्मचारी विलानीकरन पर अडे रहने से या मामला खिंचता गया। और यह लढाई कोर्ट तक पहूंची और इस संदर्भ मे विलानीकरन पर समिती गठीत हुयी और उस समिती ने भी कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौमपी उस पर सरकार और कर्मचारियो के पक्ष जानने के बाद कोर्ट ने निर्णय दिया। और उस्को दोनो ही पक्ष अपने हित मे बताने से नही चुके। फिर क्या ऐसा हुआ की कर्मचारी जो पिछले कई महिनो से शांती से आंदोलन कररहे थे अचानक कैसे भडक गये??जरूर इस मे किसीं की साझिश है और कोई तो है जो इस निर्णय के बाद ST कर्मचारयो पर कोर्ट के निर्णय के बाद अपना वर्चस्व खोने के डर से तो नहीना कर्मचारियो को आदरणीय शरद पवार के घर मे जाकर गाली गलोज और चप्पल पत्थर मारने के लिये उकसाया?क्योंकी पिछले 5 महिनो सेशांती से आझाद मैदान मे बैठे थे अचानक कैसे इस तरह की हरकत कर सकते है?

इस घटना से कुछ प्रश्न निर्माण हुये है। जैसे कही इस तरह गलत मांगो को प्रशासन और कोर्ट को भी अस्वीकार्य हो जिस्से भविष्य मे कोई कर्मचारी आंदोलन की न सोचे?

दुसरा प्रश्न ऐसा की सरकार और प्रशासन ने सभी मांगे मानलेने के बाद भी विलानीकरन की जिद्द क्यो?जबकी आज के उदारीकरण के दौर मे जब केंद्र सरकार एक एक कर सभी सरकारी कंपनीया बेच रही है । ऐसे मे विलानीकरन की जिद्द कितनी उचित और व्यवहार्य है?

आंदोलन कररहे कर्मचारियो को यह समझना चाहीये की पिछले 2 साल से कोरोना महा मारी की वजह से लॉक डाउन की बजराज्य और देश दुनिया आर्थिक संकट झेल रहे है ऐसे समय मे राज्य को आर्थिक संकट से उभारने मे मदद की बजाय करोडो का नुकसान सिर्फ किसीं एक व्यक्ती की जिद्द और ज्यादा समझदारी से राज्य को सहना पडा उसका जिममेदार कोण? और इस दरम्यान ST बस जो महाराष्ट्र की जीवन रेखा है बंद होने से सामान्य जनता को जो असुविधा हुयी और साथ ही दसवी, बारावी के छात्रो को परीक्षा स्थल तक जाने मजा मुष्कीलो का सामना करना पडा उसका की जवाबदेही किसकी? साथ ही जीन कर्मचारियो ने यह आंदोलन लंबा चलने की वजह से आत्महत्या की आत्महत्या की उसकी जवाबदेही किस पर?गैर जिममेदार तरिके से दिशाहीन आंदोलन को बस अपनी जिद्द के चलते हजारो कर्मचारि,राज्य और देश का नुकसान करने वाले कर्मचारी नेता स्वीकारेंगे???


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